हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , अल्लामा मीर हामिद हुसैन रह. पर आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के सचिव हुज्जतुल इस्लाम रूहुल्लाह काज़िमी ने घोषणा की है कि अल्लामा मीर हामिद हुसैन की महान विद्वतापूर्ण शख़्सियत के परिचय और उनके बहुमूल्य शैक्षिक कार्यों विशेष रूप से विश्वविख्यात पुस्तक “अबक़ातुल अनवार”के पुनर्जीवन के उद्देश्य से देश और विदेश में विशेषज्ञतापूर्ण पूर्व बैठकों का सिलसिला जारी है।
सम्मेलन के सचिव हुज्जतुल इस्लाम रूहुल्लाह काज़िमी ने बताया कि अल्लामा मीर हामिद हुसैन की महान शैक्षिक विरासत को उजागर करने और उनकी कृतियों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए विभिन्न प्रांतों और शैक्षिक केंद्रों में बैठकों और पूर्व-बैठकों का आयोजन किया जा रहा है।
इस्फ़हान में आयोजित इस पूर्व-बैठक को संबोधित करते हुए हुज्जतुल इस्लाम काज़िमी ने कहा कि अल्लामा मीर हामिद हुसैन की गणना आलमे-तशय्यो‘ के महान मुतकल्लिमीन में होती है। इसी कारण उनकी शैक्षिक सेवाओं को सामने लाना और उनके कार्यों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना सम्मेलन के मूल उद्देश्यों में शामिल है।
उन्होंने बताया कि इस्फ़हान में आयोजित यह बैठक सम्मेलन की दसवीं पूर्व-बैठक है। इससे पहले मशहद, तेहरान और क़ुम में पूर्व-बैठकें हो चुकी हैं, जबकि भारत के शहर लखनऊ और अन्य क्षेत्रों के अलावा नजफ़-ए-अशरफ़ में भी शैक्षिक बैठकों का आयोजन किया गया है।
हुज्जतुल इस्लाम काज़िमी ने अल्लामा मीर हामिद हुसैन की शैक्षिक शख़्सियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अल्लामा लगभग दो सौ वर्ष पहले भारत के क्षेत्र वर्तमान उत्तर प्रदेश राज्य के शहर लखनऊ में निवास करते थे। उन्होंने अहले-बैत (अ.) की इमामत के प्रमाणों की रक्षा में, इमामत-ए-अहले-बैत (अ.स.) के इनकार पर आधारित पुस्तक “तोहफ़ा-ए-इसना अशरिय्या” के उत्तर में महान शैक्षिक कृति “अबक़ातुल अनवार” की रचना की हैं।
उन्होंने आगे कहा कि “अबक़ातुल अनवार” को पुस्तक तोहफ़ा-ए-इसना अशरिय्या का सबसे मज़बूत और गंभीर शैक्षिक उत्तर माना जाता है। इस पुस्तक के लेखन के बाद विरोधियों द्वारा इसके उत्तर देने के कई प्रयास किए गए, लेकिन वे किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुँच सके।
सम्मेलन सचिव के अनुसार, दुर्भाग्य से यह महान शैक्षिक कृति लंबे समय तक पूर्ण, शोधपरक और आधुनिक मानकों के अनुरूप प्रकाशित नहीं हो सकी थी। हालांकि अब सम्मेलन का सचिवालय इसके नियमित पुनर्जीवन में सक्रिय है। अब तक “अबक़ातुल अनवार” के 18 खंड प्रकाशित हो चुके हैं और आशा है कि वर्ष के अंत तक यह पुस्तक 37 खंडों में पूर्ण रूप से प्रकाशित हो जाएगी।
उन्होंने अंत में कहा कि इमाम ख़ुमैनी (रह.) के अनुसार, अल्लामा मीर हामिद हुसैन ने अबक़ातुल अनवार के माध्यम से शिया मत की सबसे बड़ी शैक्षिक दलील प्रस्तुत की। इमाम ख़ुमैनी (रह.) इस महान कृति के पुनर्जीवन को शिया विद्वानों पर एक दायित्व मानते थे। इसी सोच के तहत सम्मेलन का उद्देश्य इस अद्वितीय शैक्षिक विरासत को शैक्षिक और हौज़वी हलकों तक पहुँचाना और इसे जीवित रखना है।
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